सफर तो यूँ ही कट जाता है साथ चलते चलते,
तकलीफ तो साथ चलने वालों के यादे देते हैं।
वक़्त कभी लौटता नहीं,
और यादें कभी जाती नहीं।
यादों का भी अलग दस्तूर है,
जब बनती हैं , तो दिखती नहीं,
और जब दिखती हैं , तो बन सकती नहीं।
जब कभी याद आएगी,
याद आएगी क्योंकी वो तो कभी जाती नहीं ना ।
तो सरदी की धूप में तुम्हे ढूँढ लुँगी,
ढन्डी हवाओं में तुम्हें महसूस कर लुँगी,
बारिश में शायद तुम्हें पा लूँ इस उम्मीद में भीग लुँगी,
चाय भी शायद अब पी ही लूँ ।
शाम छहः बजे ही घर को चल दूँगी,
नल में पानी देख हैरान हो लुँगी,
15 और 30 तारिख को छोले भटूरे खा लुँगी।
जब कभी याद आएगी,
याद आएगी क्योंकी वो तो कभी जाती नहीं ना ।
तो ये सोच कर खुश हो लेना , की ये सबको आती है,
ये किसी से भी दुर नहिं जाती।
ये जान लो ,ये यादें
हौसला हैं ,
हर पल में कुछ और जीने का।
हीम्मत हैं,
अपनी बाते कहने की।
ताकत हैं,
हर चीज में खूबसूरती देखने की।
जब कभी याद आएगी,
याद आएगी क्योंकी वो तो कभी जाती नहीं ना ।
तो मुस्कूरा लेना, खिलखिलाकर हँस लेना
क्योंकि रोने को जींदगी में गम बहुत हैं,
हम गए नहीं है, देखो हमारी याद तो अभी भी तुम्हारे पास है।
क्योंकि याद तो कभी जाती नहीं।
वक्त शायद अब खत्म होने वाला है,
पर यादें तो हमेशा साथ है।
जब कभी याद आएगी,
याद आएगी क्योंकी वो तो कभी जाती नहीं ना ।
तो चॉकलेट पूरी खुद ही खा लेना,
पुरे कमरे में हुड़दंग मचा लेना,
जोर से चीख लेना,
जो सूकुन दे वो कर लेना,
क्योंकि याद तो आएगी,
वो कभी जाती नहीं ना।
A poem full of emotions. Just loved it. 🙂
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Thanku
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